Tuesday, February 17, 2009

सत्यम का सत्य

सत्यम का संस्कृत में अर्थ सत्य होता है । 7 जनवरी,2009 को चौथी सबसे बड़ी साफ्टवेयर निर्यातक कंपनी सत्यम कंप्यूटर ने भारतीय पूंजीवाद के बारे में कुछ कड़वे सच सबके सामने ला दिए । इससे न केवल भारतीय उद्घोग जगत में बल्कि पूरे देश में एक भूचाल आ गया । विकास का पर्याय माने जाने वाली एक कंपनी असल में धोखाधडी़ का गढ निकली और भारत के सबसे चमकते व भारत की साख बन चुके आईटी उधोग की चमकीली इमारत भरभरा कर ढह गई । सत्यम के चेयरमैन व संस्थापक बी. रामलिंगा राजू ने अपने भाई , जो कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर थे , के साथ मिलकर करीब 1.47 अरब डाँलर की हेराफेरी की है । यह हेराफेरी कंपनी की बैलेंस शीट में की गई ।
सत्यम के इस सत्य की छन-छन कर बाहर आने की शुरुआत 16 दिसंबर, 2008 को उस समय हुई , जब राजू ने अपने बेटों की दो कंपनियों का सत्यम के जरिए अधिग्रहण करने की कोशिश की ।
विवादों में घिरे रामलिंगा राजू ने 10 जनवरी को प्रस्तावित बोर्ड बैठक से पहले 7 जनवरी को ही चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया । और उन्होने सेबी को लिखी चिटठी में बैंलेंस शीट में गड़बड़ी की बात स्वीकार की । इससे समस्ति भारतीय उधोग जगत , कंपनी मामलों का मंत्रालय , सेबी और देश की जनता दंग रह गए ।
इस राज को खोलकर राजू कुछ दिन के लिए अपने भाई के साथ गायब हो गए । हालांकि, बाद में उन्होने आंध्र प्रदेश पुलिस के सामने समपर्ण कर दिया ।

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